एक ओस की बून्द,
एक घास का तिनका,
हैं तो बहुत छोटे
पर क्या समझते हो मोल इनका ?
हवा के झोंकों में झूमते हुए पेड़
धूप का स्पर्श, बादलों की रेल .
छोटी छोटी चीज़ें
जो शायद अनदेखी हो जाएं,
रोज़ की भाग दौड़ में
चिडिया और कोयल किसे याद आए?
बड़े की आस को ग़लत नही मानती
लेकिन फिर भी
मैं इतना हूँ जानती,
एक एक बूँद से ही सागर है बनता,
नन्ही कलियों से गुलशन है खिलता .
तो छूना अगर है आसमान,
तो यह न भूलो
सदियों पर भी रहता है
हर छोटे पल का पहरा.
तो हर पल का मोल जानो
छोटी-छोटी बातों में छिपी
बड़ी खुशियों को पहचानो .
8 comments:
bahut badhiya! ajee humein kya pata tha ki aap hindi mein bhi likhti hain?
Bahut sahi keti hain aap. Boond boond se hi saagar banta hai. Choti choti baaton and vyakhyon se hi yaadein ban jaati hain. Hum aksar 'chote' cheezon ko andekha karte hain, aur galti kar baith-te hain.
Thoda Aur zyada likha kijiye.
CRD
thnx..nevr really tried dis b4 :)
;))))
pretty poem!!job pakki!;)
hehe...dis isn't wat i wrote there :)
brilliant! absolutely amazing :)
nice poem!
dude u rule yaa..can never ever write in hindi..n tis so sach..n u wrote anoder poem at advait..my gawd!
thank u :) i like it too.
Post a Comment