एक ओस की बून्द,
एक घास का तिनका,
हैं तो बहुत छोटे
पर क्या समझते हो मोल इनका ?
हवा के झोंकों में झूमते हुए पेड़
धूप का स्पर्श, बादलों की रेल .
छोटी छोटी चीज़ें
जो शायद अनदेखी हो जाएं,
रोज़ की भाग दौड़ में
चिडिया और कोयल किसे याद आए?
बड़े की आस को ग़लत नही मानती
लेकिन फिर भी
मैं इतना हूँ जानती,
एक एक बूँद से ही सागर है बनता,
नन्ही कलियों से गुलशन है खिलता .
तो छूना अगर है आसमान,
तो यह न भूलो
सदियों पर भी रहता है
हर छोटे पल का पहरा.
तो हर पल का मोल जानो
छोटी-छोटी बातों में छिपी
बड़ी खुशियों को पहचानो .